Friday, December 30, 2011

मोती की खुशबु

 मोती की खुशबु 
हे जलधि जब कोई ग़ोताखोर 
तुम्हारे गर्भ में ग़ोता  लगाता है 
जलधि का मन मयूर कहता है 
यदि तुम 
गर्भ में घुस मोती चुग 
दूर हो जाओंगे 
प्यार को वासना युक्त 
आँखों से देखा जायेंगा
किन्तु गर -
गर्भ में ही लीन हो जाओगे  
प्यार पूज्य हो जायेंगा 
फूल-सा चेहरा खिलेगा 
चमन में खुशबु महकेगी 
कोई किसी को 
आप्प्त्ती नहीं होगी  
रचना - लक्ष्मण लडीवाला, जयपुर  
dated 31-12-11 

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