मोती की खुशबु
हे जलधि जब कोई ग़ोताखोर
तुम्हारे गर्भ में ग़ोता लगाता है
जलधि का मन मयूर कहता है
यदि तुम
गर्भ में घुस मोती चुग
दूर हो जाओंगे
प्यार को वासना युक्त
आँखों से देखा जायेंगा
किन्तु गर -
गर्भ में ही लीन हो जाओगे
प्यार पूज्य हो जायेंगा
फूल-सा चेहरा खिलेगा
चमन में खुशबु महकेगी
कोई किसी को
आप्प्त्ती नहीं होगी
रचना - लक्ष्मण लडीवाला, जयपुर
dated 31-12-11
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