Tuesday, August 14, 2012

भारत माँ की लाज बचाने 

हे भारत के लोगों जागों 
खेतिहर मजदूर,किसानो जागो
फिरसे  मोर्चा संभालो रे 
आंतकवादी घुसआये देश में, 
बाहर उन्हें निकालो रे  |

कलम के धनी लेखकों जागों 
बौद्धिक मनीषियों जागो, 
भ्रष्टाचारी लूट रहे देश को 
इनको सबक सिखाओ रे |

अत्याचारी मार रहे कोख है 
इज्जत लूट रहे माँ बहनों की
सौदागर है ये मानव अंगो के 
इनपर कालिख पोतो रे |

हे भारत के लोगो जागो 
योद्धाओ दिग्पालो जागो 
सीमा में घुस रहे पडौसी 
इनको बहार खदेड़ो  रे
भारत माँ की लाज बचाने
सब मिल आगे आओ रे | 

गंगा यमुना कर रहे प्रदूषित 
अवैध खनन से हो रहे पोषित 
खंडित कर रहे है धरती माँ को
इनको दूर भगाओ रे 
भारत माँ की लाज बचाने 
सब मिल आगे आओ रे |  

 -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला


एक ही विधान है 

देने वाला दाता ही,  ताप है संताप है 
तुझे मिल रहा जो, कर्मो  का ही श्राप है 
 
मत समझ वे कमजोर, और तू बलवान है 
उनके बल पर ही बना, आज तू धनवान है 

भीड़ देखी हीन भाव से, वह मनुज शैतान है 
छीनकर सारा इनसे, कर रहा अभिमान है
 
चापलूसी धूर्तता से, हराभरा यह लॉन है
पानी के लिए है जमा, भीड़ को यह भान है 

दिन उनका  भी आएगा, नहीं तुझको ज्ञान है 
सोच आखिर इंसान से, इंसान का ही काम है 

उसके यहाँ न गरीब कोई, न कोई  धनवान है
गरीब और अमिर का, वहां एकही विधान है | 
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 
 
चाहिए थोडा सा प्यार
 
एक लड़की होती है माँ-बांप की जान 
स्त्री बन रखती अपने सुहाग का मान
माँ बन करती बच्चे का लालन-पालन 
जीवन भर रखती परिवार का ध्यान ||

संकट में हो जाती वह तुम पर कुर्बान 
जितना करो थोडा है त्याग का बखान
घर परिवार औ देश की वह अनुपम शान 
भूलकर भी करो न कभी उसका अपमान ||

अश्लील कारज से करो न कभी बदनाम 
मत खोना अपनी जमीर, रखना ध्यान 
रख ध्यान,करो उनसे सदा ही सद-व्यव्हार 
त्याग की मूर्ति है,उन्हें चाहिएथोडा सा प्यार || 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर