Wednesday, December 28, 2011

जागों युवको

            जागों युवको 


क्यों दे इनको वोट  या सपोर्ट 
कितने के तोड़े है इन्होने सपने
कितने को देते आये है ये चोट 
ये तो बस है काले धन के ही मतवाले 
आये दिन करते रहते कितने ही घोटाले
इनको तो प्रिय है अपने ही साले-साली 
इनको चाहिए सुंदरी और साकी -प्याली 
पांच साल पहले आये थे बनकर जन-सेवक 
अब कहते मै तो हूँ  नेता, जनता मेरी सेवक 
आखिर कितनी बार इनके हाथो छलेगी
जागरूक जनता आखिर कब नींद से जागेगी 
जागो युवको अन्ना अब हुन्कार भर रहा है 
आशा भरी निगाह से सर्वहारा देख रहा है | 
 जागो युवको पहचानो अब इन गद्दारों को 
माँ-भारती पुकार रही तुम सब पहरेदारो को 
लेखक - लक्ष्मण लड़ीवाला, जयपुर dt 28.12.11 

No comments:

Post a Comment