Monday, December 26, 2011

गाँधी अन्ना तुम्हे प्रणाम

      गाँधी अन्ना तुम्हे प्रणाम 

बिना बने बदचलन हिंसकऔर बेदाग, 
बिना उजाड़े  किसी स्त्री का सुहाग 
बिना किये देश-समाज को हवाले आग 
युवकों के दिल में लगाई जज्बे की आग
भ्रष्टाचार का सुरसा-सामान बढ़ता दानव
जिसमे पिस रहा है अकारण ही मानव
साथ तुम्हारे उठ खड़े है करने को अनशन
धरना देना हो या करो जेल भरो आन्दोलन
असर नहीं सद-बुद्धि प्रार्थना का नेताओं पर
आंच न आने देंगे गाँधीजी की सहादत पर
मजबूत लोकपाल बिना अब न युवा रुकेंगे
मरते दम तक अन्ना साथ तुम्हारे हम रहेंगे |
द्वारा - लक्ष्मण लडीवाला, जयपुर Dt 26.12.11

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