Sunday, April 22, 2012

लघु कहानी - विवाह का बजट


लघु कहानी 
विवाह का बजट   
निर्मलकुमार नुवाल ने अपने परिचित कमलेशजी कांकर की
लड़की से अपने जीजा श्री लवकुमार लक्ष के पुत्र व अपने भांजे 
लोकेन्द्र का विवाह  तय कराया | निर्मल कुमार ने अपने जीजा  
द्वारा बगैर पूंछे ही बार-बार यह दुहराया कि मेरी तो कमलेशजी 
कांकर से दो-ढाई लाख की ही बात हुई है | हर बार जीजा ने स्पष्ट 
किया कि जो बजट है उसी में किस प्रकार शादी संपन्न करनी 
है,तखमीना बनवा अवगत करादे | बजट की कोई बात नहीं है |

बिर्मल कुमार अपने से ज्यादा प्रतिष्ठित परिवार के अपने जीजा
से यह अपेक्षा करते थे कि वे हर कार्य उसकी ही रायसे करे |अंत   
में शादी बड़ी ही शालीनता पूर्वक सादगी से करते हुए कमलेशजी  
ने अपने समधी और बेटी को ख़ुशी-ख़ुशी बिदा किया |

कुछ समय पश्चात ही निर्मल कुमार के लड़के अमन कि शादी के 
प्रयास शुरू हुए | पर काफी समय इन्तजार करने पर भी अच्छे
प्रस्तावों को मानों सांप सूंघ गया हो | अपने जीजा से अच्छे बजट
प्रस्ताव की आशा न होने के बावजूद अमन कि बढती उम्र के कारण
तथा बड़े लड़के की शादी में विलम्ब  की वजह से अपने छोटे बेटे
पवन की भी बढती उम्र को देखते हुए अपने जीजा से बात की |

आखिर जीजा लव कुमार लक्ष के मित्र श्यामजी द्वारा एक अच्छे 
परिवार की सुशिक्षित  कन्या मीरा का प्रस्ताव दिया, जिसमे 5-6 
लाख रुपये लगाने का बजट बताया | लड़की पसंद करने के बाद 
लड़के के पिता निर्मल कुमार नुवाल ने अपने जीजा से कहाँ- 
जीजाजी,आपही बताओ इस कमर-तोड़ महंगाई में 5-6 लाख से 
क्या टीकी लगेगी ? जगह, पंडाल, सजावट, मिलनी, दांत,डायजा,
जीमन, लड़की की पेटी, आदि इस बजट में कैसे निपटेगा ? 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर