क्षनिकाए :-
माधुर्य
(वाणी का माधुर्य)
वाणी का माधुर्य
जीवन को विस्तार देता है
जहाँ प्रेम है
वहां लेन-देन नहीं है
(देना ही देना है)
कोई व्यापार नहीं है |
मुस्कान
मानव मन का दर्पण
श्रेष्ठता का प्रमाण-पत्र
मन की निर्मलता का-
प्रतिबिम्ब
आंखे :
इंसानी भांवो की झलक
चेहरे का भांव
दू:ख
सुख का साधन
सु:ख
दूर क्षित पर अंकित
असंभव है टंकित
जीवन :
कर्मो का प्रतिफल
सु:ख - दू:खं का अहसास
भावी जीवन की आस
रचना : लक्ष्मण लडीवाला
१६५,गंगोत्री नगर , टोंक रोड
जयपुर (राज) 302018