ह्रदय दीप जल जाय (दोहे)
दीपमालिका पर्व है, प्रगति का कर भान,
थोडा श्रम अधिक करले, बढ़ जायेगा मान । (1)
धन दौलत को छोड़कर, नहीं ओर है ध्यान
अगर नहीं धन प्रेम का, लक्ष्मी करे न मान । (2)
निर्धन को नित डस रही, किस विध बेटी ब्याह,
इस दिवाली देख रहा, धन लक्ष्मी की राह । (3)
अँधेरी अमावस को, दियाबत्ती है आस,
माँ कमला के आन की,रखे रात भर आस । (4)
माँ लक्ष्मी को भूल कर, बेटा गया विदेश,
रूठ लक्ष्मी छोड़ चली, कंगाली में देश । (5)
ज्योतिर्मय करे सबको, दीपक करते कर्म,
खुद रहे अन्धकार में, निभा रहे स्व धर्म । (6)
बाती कहे दीपक से, तुझ बिन क्या मेरा,
मिल तेल में मै जलू , धर्म कहे यह मेरा । (7)
दीन दुखियो का जीवन, ज्योतिर्मय कर जाय
सभी का गम दूर करे, ह्रदय दीप जल जाय। (8)
दीप सबके जीवन में, खुशिया खूब भर दे,
सबके आँगन कुटी में, प्रकाश पुंज भर दे । (9)
- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
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