Monday, January 16, 2012

क्षनिकाए :-

क्षनिकाए :-
माधुर्य
(वाणी का माधुर्य)
वाणी का माधुर्य
 जीवन को विस्तार देता है 
जहाँ प्रेम है 
वहां लेन-देन नहीं है 
(देना ही देना है)
कोई व्यापार नहीं है | 
मुस्कान 
मानव मन का दर्पण 
श्रेष्ठता का प्रमाण-पत्र
मन की निर्मलता का-
प्रतिबिम्ब 
आंखे :
इंसानी भांवो की झलक 
चेहरे का भांव 
दू:ख 
सुख का साधन 
सु:ख 
दूर क्षित पर अंकित 
असंभव है टंकित 
जीवन :
कर्मो का प्रतिफल 
सु:ख - दू:खं का अहसास 
भावी जीवन की आस 

रचना : लक्ष्मण लडीवाला
१६५,गंगोत्री नगर , टोंक रोड 
जयपुर (राज) 302018 

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